#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*ज्ञान गुलाल उडाइये रङ्ग हो हो होरी ।*
*सुमति पिचक कर लेहु रंगनि रङ्ग हो हो होरी ।*
*भरहु परसपर आतमा रंङ्ग हो हो होरी ।*
*हरि जस गारी देहु रंगनि रङ्ग हो हो होरी ॥२॥*
ज्ञान गुलाल के साथ होलिकोत्सव मनाइये । सुमति रूप पिचकारी में रंग भर लीजिये । तथा परस्पर आत्मा एवं परमात्मा एक दूसरे पर रंग डाले । इस रंग में हरिगुणगान रूप गालियाँ भर कर एक दूसरे पर फेंके । यही हमारी उत्तम होली होगी ॥२॥
(क्रमशः)

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