शुक्रवार, 22 नवंबर 2019

= सुन्दर पदावली(चित्र बंध, जीनपोस बंध. ८) =

#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
.
*= (चित्र बंध, जीनपोस बंध. ८) =*
*उल्लाला*
*सरस इसक तन मन सरस ।*
*सरस नवनि करि अति सरस ॥*
*सरस तिरत भाव जल सरस ।*
*सरस लगत हरि लइ सरस ॥९॥* 
भगवान् की भक्तिमय तथा कथा सुनने से भक्त का हृदय भी सरस(प्राणमय) हो जाता है । उसको प्रणाम करना तो उससे भी अधिक उत्तम आनन्दमय होता है ॥ 
उसकी सरस कथा सुनने से भक्त की भवसागर से पार होने की स्थिति बन जाती है । वह कथा भक्त को भगवान् के चरणों में प्रेमपूर्वक लीन कर देती है ॥९॥ 
*सरस कथा सुनि कैं सरस ।*
*सरस बिचार उहै सरस ॥*
*सरस ध्यान धरिये सरस ।*
*सरस ज्ञान सुन्दर सरस ॥* 
ये सरस कथाएँ सुनकर साधक के हृदय में भी सरस विचार उद्भुत होने लगते हैं । श्रीसुन्दरदासजी कहते हैं – इससे उसको यह लाभ होता है कि वह भी इन विचारों का ही निरन्तर चिन्तन करता रहता है । अतः उसके सरस ज्ञान में सतत् वृद्धि होती है ॥१०॥
(क्रमशः)

1 टिप्पणी: